Wednesday, April 23, 2014

AB MARZI SE NAHI HATA SAKENGE MDM COOK

स्कूलों में मिड-डे मील कुक और हेल्पर को सरपंचों ने फुटबाल की तरह समझा हुआ था। सरपंची का रौब झाड़ते हुए वह किसी भी कुक या हेल्पर को अधिकारियों से शिकायत कर हटा देते थे, लेकिन अब उनकी चलने वाली नहीं। प्रदेशभर में अगर किसी कुक को हटाना है तो पहले मौलिक शिक्षा निदेशालय से उसकी अनुमति लेनी होगी। अगर किसी अधिकारी ने अपनी पॉवर का इस्तेमाल करते हुए कुक को हटाया तो उस अधिकारी के खिलाफ निदेशालय कार्रवाई करेगा। इस संबंध में सभी डीईओ को निदेशालय की तरफ से पत्र भेजे गए हैं। मिड-डे मील कुक या हेल्पर हर समय सरपंच या स्कूल मुखिया के रहमोकरम पर काम करते रहे हैं। जो कुक हटाए जाते हैं, वे कोर्ट की शरण में पहुंचने शुरू हो गए। यही वजह है कि कोर्ट में कुक व हेल्पर को हटाने के केस काफी हो गए जिस कारण मौलिक शिक्षा विभाग के काम प्रभावित होने लगा। अब निदेशालय ने कहा कि अगर किसी कुक या हेल्पर को हटाना है तो उसकी शिकायत पहले निदेशालय को भेजनी होगी। निदेशालय ही
उन्हें हटाने पर कोई कार्रवाई करेगा। प्रदेश में इस समय 50 हजार से ज्यादा कुक व हेल्पर बच्चों के लिए खाना तैयार कर रहे हैं अब होगा एक बार मेडिकल : कुक या हेल्पर का मेडिकल अब साल में एक बार ही होगा। अगर मेडिकल में कोई कुक या हेल्पर स्वस्थ नहीं पाया गया तो निदेशालय उस पर विचार करेगा। साल में बार बार होने वाले मेडिकल से अब कुक व हेल्पर को छुटकारा मिला है। हर स्कूल को मिलेंगे साबुन : प्रत्येक स्कूल में 20 बच्चों के लिए माह में एक साबुन मिलेगा। खाना खिलाने से पहले हाथ धुलवाने की जिम्मेदारी कुक की होगी। दीवारों पर लिखना होगा मेन्यू सभी स्कूलों को अब स्कूल की दीवार पर मिड-डे मील का मेन्यू लिखना होगा। ताकि हर किसी को पता चल सके कि उन्हें क्या खाना मिलेगा। इसके साथ-साथ मिड-डे मील का लोगो बनाना जरूरी है। इसके लिए विभाग एक हजार रुपए स्कूल को देगा। इसके अलावा किचन डिवाइस खरीदने के लिए प्रत्येक स्कूल का पांच हजार रुपए का बजट रखा गया है। इसके तहत प्रदेश के 7957 स्कूलों को चयनित किया गया है। स्कूल सुरक्षा की दृष्टि से रसोई उपकरण खरीद सकते हैं। "निदेशालय की तरफ से जो निर्देश आए हैं, वह स्कूलों में लागू करने के लिए कहा गया है। कुक या हेल्पर की किसी को शिकायत है तो उसे निदेशालय भेजना होगा। स्कूलों में निदेशालय ने साबुन का भी प्रबंध किया है ताकि बच्चे हाथ धोकर खाना खा सकें।" -- सुधीर कालड़ा, खंड मौलिक शिक्षा अधिकारी, अम्बाला।

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