Saturday, July 5, 2014

GRP KE 350 SIPAHIYO KO NIKALNE KE AADESH

अमर उजाला ब्यूरो चंडीगढ़। हरियाणा में चौटाला सरकार के समय वर्ष 2004 में जीआरपी में भर्ती हुए 350 सिपाहियों की नौकरी पर संकट आ गया है। पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को निर्देश दिया है कि चयनित सिपाहियों को 15 दिन का नोटिस जारी कर पूछा जाए कि उन्हें नौकरी से क्यों न निकाला जाए। इस मामले में सरकार को 18 अगस्त को हाईकोर्ट में जवाब देना होगा। हरियाणा सरकार ने जून 2003 में जीआरपी में 350 सिपाहियों की भर्ती के लिए आवेदन मांग थे। वर्ष 2004 में चयनित उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र दिए गए थे, लेकिन एक उम्मीदवार शैलेंद्र को वेंटिग लिस्ट में दिखाकर नौकरी नहीं दी गई। उसने भर्ती को हाईकोर्ट में चुनौती दे दी और भर्ती में गड़बड़ी का आरोप लगा दिया। हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दे दिए। सीबीआई जाच के दौरान भर्ती में गड़बडी सामने आई थी। बावजूद इसके यह 350 सिपाही नौकरी कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने 10 जनवरी 2008 को दिए फैसले मे कहा था कि सीबीआई की रिपोर्ट पर सरकार कानून के मुताबिक कार्रवाई करे। इसके साथ ही इस दौरान यदि चयनित उम्मीदवारों को नौकरी में रखना चाहे तो शैलेंद्र जैसे अन्य सभी याचियों को अधिकार है कि वे नौकरी पाने के लिए
अपना दावा रखें। सीबीआई ने जांच में तत्कालीन एसपी रवि आजाद और दो अन्य डीएसपी को दोषी ठहराया था। जांच के दौरान उन्होंने अपने बयान में कहा था कि उन्होंने उस सूची के मुताबिक भर्ती की, जो उन्हें तत्कालीन डीजीपी एमएस मलिक ने मुहैया कराई थी और असल सूची का रिकॉर्ड नष्ट करवा दिया था। इसके बाद तत्कालीन एसपी रवि आजाद की ज्यूडिशियल कस्टडी में मौत हो गई थी, जबकि अन्य दोनों आरोपी अभी जेल में ही है। सीबीआई जांच में गड़बड़ी सामने आने के बावजूद कोई कार्रवाई न होने पर हाईकोर्ट ने आदेश की अवहेलना मानते हुए स्वत: संज्ञान लेकर हरियाणा के मुख्य सचिव से जवाब मांगा था। हाईकोर्ट ने असंतोष जताते हुए सरकार पर 10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया था। अब हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय किशन कौल एवं जस्टिस अजय तिवारी की डिवीजन बेंच ने कहा है कि भर्ती में गडबड़ी हुई है और मौजूदा उम्मीदवार नौकरी में नहीं बने रह सकते, लेकिन सरकार उन्हें नौकरी से हटाने से पहले पक्ष रखने के लिए मौका दे और इसके लिए 15 दिन का नोटिस जारी करे। एससी कोटे में तरक्की का डाटा तलब चंडीगढ़। हरियाणा में दर्जा दो से दर्जा तीन की तरक्की में एससी कोटे में मौजूद पदों का ब्योरा पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने तलब कर लिया है। यह ब्योरा शुक्रवार को दिया जाना था, लेकिन मुख्य सचिव ने निजी तौर पर पेश होकर डाटा पेश करने के लिए और समय मांगा। अब हाईकोर्ट ने सरकार को तीन महीने के भीतर डाटा पेश करने का अंतिम मौका दिया है। हरियाणा सरकार ने वर्ष 2007 में एससी-बीसी कोटे के कर्मचारियों को तरक्की दी थी। इस निर्णय को सामान्य वर्ग केकर्मचारियों ने चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने पिछले साल हरियाणा सरकार का यह निर्णय रद्द कर दिया था, जिसे आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों में से कुछ के वकील शीरेश गुप्ता के जरिए याचिका दायर कर चुनौती दे दी थी। इस पर हाईकोर्ट ने तरक्की में कोटे के लिए एससी-बीसी के बारे रिपोर्ट तलब की थी कि क्या इन्हें तरक्की दी जानी बनती है या नहीं। हरियाणा सरकार ने एक रिपोर्ट भी तैयार करवाई थी, लेकिन इसे सावर्जनिक नहीं किया था। याचिकाकर्ताओं ने आरटीआई के तहत यह रिपोर्ट हासिल की थी। रिपोर्ट में सरकार ने माना था कि आरक्षित वर्ग में तरक्की देना बनता है। इस पर हाईकोर्ट ने सरकार से तरक्की के लिए पदों का ब्योरा तलब किया था। इस मामले में मुख्य सचिव को तलब किया गया था। शुक्रवार को मुख्य सचिव ने कहा कि ब्योरा बनाने में और समय लग सकता है और हाईकोर्ट ने अब अंतिम मौका देते हुए तीन महीने में डाटा पेश करने के लिए कहा है।

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