Thursday, July 10, 2014

JBT RESULT DECLARE KARNE PAR HIGH COURT KI ROK

दयानंद शर्मा, चंडीगढ़1कई माह से भर्ती परिणाम का इंतजार कर रहे 9647 जेबीटी टीचरों को हाईकोर्ट ने तगड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिया है कि भर्ती का परिणाम तभी घोषित करें जब सभी उम्मीदवारों के प्रमाणपत्रों (अनुभव, डिग्री खासकर अध्यापक पात्रता परीक्षा के प्रमाणपत्र की परीक्षा में लिए गए अंगूठे, फोटो व हस्ताक्षर) की तकनीकी जांच पूरी कर लें। जांच से पहले सरकार परीक्षा का परिणाम घोषित नहीं कर सकती। जींद निवासी महा सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय किशन कौल पर आधारित खंडपीठ ने हरियाणा शिक्षा विभाग की प्रधान सचिव, स्कूल टीचर भर्ती बोर्ड व हरियाणा स्कूल शिक्षा बोर्ड को 19 अगस्त के लिए नोटिस जारी कर जवाब-तलब भी किया है।1याचिकाकर्ता के वकील जसबीर मोर ने खंडपीठ को बताया कि हरियाणा में चल रही टीचर भर्ती प्रक्रिया में चयनित उम्मीदवारों के प्रमाणपत्रों की सही जांच नहीं की जा रही है। खासकर अध्यापक पात्रता परीक्षा में लिए गए अंगूठे, फोटो व हस्ताक्षर की जांच नहीं की गई। इस समय सरकार ने पीजीटी टीचर को तो नियुक्ति दे दी है लेकिन अभी 9647 जेबीटी टीचर का परिणाम घोषित करना बाकी है। इसलिए जब तक शिक्षा विभाग सभी तरह से जांच नही करता तब तक चयन सूची को अंतिम रूप न दिया जाए तथा परिणाम घोषित न किया जाए।
 हरियाणा में 9637 जेबीटी की भर्ती में प्रमाण पत्रों की सही जांच न होने का आरोप लगाती एक याचिका पर हाईकोर्ट में दायर की गई है। चीफ जस्टिस संजय किशन कौल एवं जस्टिस अजय तिवारी की डिवीजन बेंच ने टीचर भर्ती बोर्ड, शिक्षा बोर्ड एवं प्रधान सचिव शिक्षा विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सुनवाई 21 अगस्त को होगी। जींद निवासी महा सिंह ने याचिका में कहा है कि मौजूदा अध्यापक भर्ती में चयनित उम्मीदवारों के परीक्षा के दौरान लिए गए फिंगर प्रिंट्स, स्टेट टीचर एलिजबिलिटी टेस्ट प्रमाण
पत्रों, फोटो एवं हस्ताक्षरों की जांच नहीं की गई। पोस्ट ग्रेजुएट टीचर (पीजीटी) को नियुक्ति कर लिया गया है, लेकिन अभी 9637 जेबीटी का अंतिम नतीजे का ऐलान किया जाना है। मांग की गई है कि शिक्षा विभाग द्वारा उसकी जांच किए जाने तक परिणाम रोका जाए। याचिका में दलील दी गई है कि 2001 में 9000 जेबीटी की नियुक्ति के बाद अधिकतर चयनित उम्मीदवारों के स्टेट परीक्षा में लिए गए अंगूठों के निशानों का मिलान नहीं हुआ था और यह मामला अभी हाईकोर्ट में विचाराधीन है। इस दलील के साथ याचिकाकर्ता के वकील ने पैरवी करते कहा कि मौजूदा जेबीटी की नियुक्ति से पहले तथ्यों की जांच पूरी होनी चाहिए ताकि बाद में वर्ष 2001 जैसा बवंडर न निकले। हाईकोर्ट ने इस दलील पर सरकार से कहा गया कि प्रमाण तथ्यों की जांच उपरांत ही परिणाम घोषित किया जाना चाहिए।

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