Monday, April 20, 2015

अफसरशाही का शिकार हुए मंत्री रामबिलास शर्मा

ईश्वर धामु(चंडीगढ़):हरियाणा की भाजपा सरकार में बैठे मंत्री भी अब तो अफसरशाही से काफी परेशान होने लगे हैं। हालात यंहा तक पहुंचे हुए हैं कि कोई भी वरिष्ठ अधिकारी किसी भी मंत्री का कहना मानने को तैयार नहीं है। अगर कोई मंत्री अपनी चलाने की कौशिश करता है तो अधिकारी का तुरन्त जबाव होता है कि वह इस बारे में मुख्यमंत्री से बात कर लेंगे। इस पर मंत्री चुपी साध लेते हैं। लब प्रदेश के मंत्रियों को अधिकारी भाव नहीं दे रहे हैं तो विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों की स्थिति का सीजता से अनुमान लगाया जा सकता है। भाजपा सरकार को अब आधा साल बीत रहा है और सरकार अधिकारियों पर नकेल कसने में पूर्णतया नाकाम रही है। हालांकि अधिकारियों के रवैये को लेकर मंत्री और विधायकों की शिकायतें बार बार मुख्यमंत्री के पास पहुंच रही है और यह मुद्दा भाजपा के प्रदेश प्रभारी के सम्मुख भी कई बार उठ चुका है पर इसका कोई समाधान अभी तक नहीं हो पाया है। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री खुद कई बार अधिकारियों को चेतावनी दे चुके हैं पर
अधिकारियों पर यें सभी चेतावनी बेअसर रही है। अब तो कहा जा रहा है कि प्रदेश के अधिकारी कांग्रेस शासन से भी अधिक बेलगाम हो रहे हैं। अधिकारी के असहयोगपूर्ण रवैये का शिकार प्रदेश के अनुभवी व प्रभावी मंत्री और चुनाव से पहले तक मुख्यमंत्री की रेस में नम्बर एक पर रहने वाले रामबिलास शर्मा पिछले दिनों हो चुके हैं। पुष्ट जानकारी के अनुसार असंध के एकचर्चित केस में नामजदा क्षेत्र के कुछ लोग शिक्षा मंत्री रामलिास शर्मा से उनके चंडीगढ़ निवास पर मिले। इस घटना में एक ट्राली से मौत हुई थी और विरोध स्वरूप लोगों ने पुलिस की गाडिय़ा तोड़ दी थी। मंत्री से मिलने वाले लोगों का कहना था कि पुलिस ने उनको बेवजह नामजद किया है। जबकि इस घटना में उनका कोई सम्बंध नहीं हैं और वें बेकसुर हैं। यें लोग पूर्व विधायक जिलेराम शर्मा के समर्थक बताए गए हैं। एक नम्बरदार को साथ लेकर यें सभी कथित आारोपी मंत्री रामबिलास शर्मा से मिले। शर्मा ने उनकी बात का बड़े ध्यान से सुना। एक प्रत्यक्षदर्शी के अनुसार मंत्री को अपना दुखड़ा समझाते हुए यें लोग कई बार रोए भी। मंत्री को लगा कि इन सभी के साथ पुलिस ने ज्यादती की है तो उन्होने तुरन्त करनाल के एसपी को फोन लगा दिया। औपचारिकता के बाद मंत्री ने केस का उल्लेख करते हुए उनके पास बैठे लोगों की मदद करने को बोला। बताया गया है कि इतना सुनने के बाद एसपी ने अपनी बात रख दी और कहा कि यें लोग झुठ बोल रहे हैं और इस केस में किसी को भी नहीं बख्शा जायेगा। मंत्री और एसपी की बात बढ़ती चली गई तो एसपी भी अधिकारी होने की फोर्म में आ गया। एसपी को एक गर्व यह भी था कि वह मुख्यमंत्री के चुनाव क्षेत्र का अधिकारी है। उन्होने मंत्री को साफ शब्दों में कह दिया बताते हैं कि वें कोई मदद नहीं करेंगे तो मंत्री रातबिलास शर्मा ने उनसे खीज कर कहा कि वें उनको कानून न बताए। क्योकि वें खुद कानून में स्नातक हैं। इतना सुन कर करनाल के एसपी ने मंत्री से कहा कि वें मुख्यमंत्री से बात कर लेंगे। पुष्ट जानकारी के अनुसार वरिष्ठ मंत्री रामबिलास शर्मा की सिफारिश के लिए आए लोगों के सामने बराबर किरकिरी हो रही थी। अब तो हालात यह थे कि मंत्री जी को गुस्सा आ रहा था। उन्होने फोन काटते हुए एसपी से कहा कि वें शाम को ही मुख्यमंत्री से इस बारे में बात करेंगे। फिर आए हुए लोगों से उन्होने कह दिया कि इस संदर्भ में वे मुख्यमंत्री से बात करेंगे। राजनैतिक गलियारे में यह घटना चर्चा का विषय बनी हुई है। अब कहा यह भी जा रहा है कि कांग्रेस के शासन में अधिकारी चाहे किसी विधायक या मंत्री का काम न कीते हों पर वें उनसे सभ्यता से पेश आते थे। लेकिन भाजपा के शासन में अधिकारियों के हौंसले इतने बढ़े हुए हैं कि वें किसी वरिष्ठ मंत्री का अपमान करने से भी नहीं चूक रहे हैं। यह भी पुछा जा रहा है कि मंत्री रामबिलास शर्मा को अच्छे न लगने वाले आईएएस अधिकारी अशोक खेमका का उन्होने सम्मान का सवाल बनाकर तबादला करवा दिया था तो क्या अब फोन पर उनको अपमानित करने वाले सीएम सिटी करनाल के एसपी का भी वें तबादला करवाने में कामयाब हो जायेंगे? चर्चाकारों का कहना है कि किसी अधिकारी का तबादला करवा कर उसको खुड्डे लाईन लगवाना इस समस्या का हल नहीं है। अगर ऐसा होता रहा तो अधिकारी सरकार के खिलाफ लामबंद होने शुरू हो जायेंगे, जो एक विकट स्थिति बन जायेगी। इसके लिए तो मुख्यमंत्री को ही कड़े फैसले लेने होंगे।

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