Saturday, April 11, 2015

जजों के फैसले गलत हों तो भी एफआईआर नहीं : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली | सुप्रीमकोर्ट ने अपने पूर्व जज और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष जस्टिस सीके प्रसाद के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग खारिज कर दी है। यह भी कहा, 'हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों के फैसले गलत हो सकते हैं, पर उन्हें चुनौती की अनुमति नहीं दे सकते। दे दी तो नतीजे खतरनाक हो सकते हैं।' 'आप' नेता वकील प्रशांत भूषण की जनहित याचिका पर पैरवी उनके पिता शांति भूषण कर रहे थे। कहा गया- जस्टिस प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट में रहते हुए दूसरी बेंच में पेंडिंग सिविल अपील अपनी बेंच में लाने आदेश दिए। प्रशांत भूषण ने एक दिसंबर 2014 को इसकी शिकायत की थी। इसमें जज के खिलाफ एसआईटी या सीबीआई जांच की मांग की गई थी। शेषपेज | 13 पर उसीवक्त केंद्र से यह मांग भी की थी कि प्रसाद को प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष पद से हटाया जाए। लेकिन जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस प्रफुल्ल सी. पंत ने याचिका खारिज कर
दी। कहा-ललिता कुमारी केस (चुनिंदा मामलों में एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य) इस मामले में लागू नहीं होता। बेंचऔर भूषण में हुई तीखी बहस बेंच:आरोपसुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज के खिलाफ हैं। ऐसे में यह याचिका सुनवाई योग्य कैसे हो सकती है? भूषण:यहओपन एंड शट केस है। पुलिस का कर्तव्य-केस दर्ज करें। मैं कुछ तथ्य बताता हूं, आपकी अंतरात्मा हिल जाएगी। बेंच:आपने(भूषण) बहुत कुछ कह लिया। सवाल यह है कि क्या गलत आदेश जारी करने वाले जज के खिलाफ इस तरह केस दर्ज किया जा सकता है? हम इस याचिका को नहीं सुन सकते। भूषण:यहन्यायिक शक्तियों के दुरुपयोग का केस है। जजों को आम जनता के प्रति जवाबदेह होना चाहिए। कई बार मेंबर भी इस केस के तथ्यों से भली-भांति वाकिफ है। (आवाज भी तेज हो गई) बेंच:जस्टिसप्रसाद के खिलाफ आरोपों से जुड़े मामले में पुनर्विचार याचिका खारिज हो चुकी है। आरोपों में कई तरह के खतरे शामिल हैं। इससे सब तरह के आरोपों का रास्ता खुल जाएगा।

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